मन कोयला बन जल राख हुई
धूआं उठा जब इस दिल से
तेरा ही नाम लिखा फिर भी
हवा ने , बड़े जतन से
तेरी याद मन के कोने से
रह-रह कर दिल को भर जाए
जिन आँखों में बसते थे तुम
उन आँखों को रुला जाए
जाने क्यों दिल की बस्ती में
है आग लगी ,दिल जाने ना,
अंतस पीड़ा की ज्वाला भी
जलता जाए बुझ पाए ना
नितांत अकेला सा ये दिल
शब्दों से भी छला जाए
टूट कर बिखरे पल ये
हाथों से क्यों छूटा जाए ?
सौगात -ए - ग़म न माँगा था
इश्क़-ए -दुनिया के दामन से
जो भी मिला सर आँखों पर
कुछ इस मन से कुछ उस मन से
धूआं उठा जब इस दिल से
तेरा ही नाम लिखा फिर भी
हवा ने , बड़े जतन से
तेरी याद मन के कोने से
रह-रह कर दिल को भर जाए
जिन आँखों में बसते थे तुम
उन आँखों को रुला जाए
जाने क्यों दिल की बस्ती में
है आग लगी ,दिल जाने ना,
अंतस पीड़ा की ज्वाला भी
जलता जाए बुझ पाए ना
नितांत अकेला सा ये दिल
शब्दों से भी छला जाए
टूट कर बिखरे पल ये
हाथों से क्यों छूटा जाए ?
सौगात -ए - ग़म न माँगा था
इश्क़-ए -दुनिया के दामन से
जो भी मिला सर आँखों पर
कुछ इस मन से कुछ उस मन से